मौद्रिक नीति तय करते समय वित्तीय स्थिरता का मुद्दा भी महत्वपूर्ण बन गया है : दास
भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार कहा कि वर्ष 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद के दौर में मौद्रिक नीति तय करते समय मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि के साथ साथ वित्तीय सेवा क्षेत्र की स्थिरता भी एक महत्वपूर्ण विचारणीय बिंदु के रूप में उभरा है।
उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं को सुधारने के लिए वित्त क्षेत्र का मजबूत होना आवश्यक है। उन्होंने भरोसा जताया कि हालिया चुनाव के बाद राजनीतिक अनिश्चिता के अंत होने और आर्थिक सुधारों के जारी रहने से इस समय दिख रही मौजूदा कमजोरियां दूर होंगी।
उनका बयान ऐसे समय में आया है जब देश के रिण बाजार में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाला गैर-बैकिंग वित्तीय कंपनी क्षेत्र कठिन दौर से गुजर रहा है।
दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक बैंकिंग विनियमन और पर्यवेक्षण को नए नजरिए से देख रहा है। साथ ही बड़ी गैर-बैकिंग वित्त कंपनियों की गतिविधियों की भी निगरानी कर रहा है ताकि वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।
उन्होंने कहा कि हमने दो साल पहले मुद्रास्फीति को लक्ष्य पर रखने का जो एक लचीला नियम तय किया है उसमें मौद्रिक नीति निर्धारण करते हुए मुद्रास्फति और वृद्धि के बीच एक बारीक संतुलन बनाए रखने की जरूरत होती है। इसी संदर्भ में वित्तीय सेवा क्षेत्र की स्थिरता भी एक महत्वपूर्ण कारक हैं।
दास ने मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के एक समूह को संबोधित करते हुए यह बात कही।
उन्होंने कहा, ‘‘ मौद्रिक नीति पर विचार के लिए वित्तीय स्थिरता एक अहम कारक बनकर उभरा है। यद्यपि समिति के सदस्यों के बीच अभी भी इस बात पर निर्णय नहीं हुआ है कि इसे मौद्रिक नीति का एक स्पष्ट कारक बनाया जाए या नहीं।’’
उन्होंने कहा कि यह तथ्य हमेशा रहेगा कि मौद्रिक नीति का मुख्य ध्यान यद्यपि मुद्रास्फीति और वृद्धि पर होता है लेकिन वित्तीय स्थिरता उसमें हमेशा निहित रही है।
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक प्रभावी संवाद और समन्वय पर जोर देगा ताकि मूल्य स्थिरता, वृद्धि और वित्तीय स्थिरता के वृहद आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके।
दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक ने बैकिंग और गैर-बैंकिंग क्षेत्रों के सुधार पर मुख्य रूप से ध्यान देने की नीति अपनायी हुई है। केंद्रीय बैंक को भरोसा है कि फंसे कर्ज पर नए दिशानिर्देश ऋण क्षेत्र में बेहतरी लाएंगे।
गैर-बैंकिंग क्षेत्र के संकट पर दास ने कहा कि रिजर्व बैंक ने तरलता ढांचे के लिए दिशानिर्देशों का मसौदा रखा है।