नयी औद्योगिक नीति घरेलू उद्योग को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला से जुड़ने में मदद करेगी : प्रभु
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने बुधवार को कहा कि प्रस्तावित नयी औद्योगिक नीति जल्द जारी की जाएगी और इससे घरेलू उद्योगों को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के साथ जुड़़ने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि घरेलू वाहन कलपुर्जा उद्योग ने इस तरह के जुड़ाव का सफलता पूर्वक उपयोग किया है जिससे इस क्षेत्र की वृद्धि तेज हुई है।
उन्होंने यहां कहा, ‘‘हम जल्द नयी औद्योगिक नीति जारी करेंगे। हम इसे अंतिम रूप दे रहे हैं। इसके कई हिस्से हैं। इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा घरेलू उद्योगों को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के साथ जोड़ने पर केंद्रित है।’’
नयी नीति 1991 की औद्योगिक नीति का स्थान लेगी। उस समय औद्योगिक नीति को देश के भुगतान संकट के संतुलन को ध्यान में रखकर तैयार किया गया था।
प्रस्तावित नीति का लक्ष्य मौजूदा उद्योगों का आधुनिकीकरण और नए उभरते क्षेत्रों को आगे बढ़ाना है। यह नियामकीय बाधाओं को भी कम करेगी। साथ ही रोबोटिक्स और कंप्यूटरीकृत मेधा जैसी नयी तकनीकों को अपनाने के लिए भी प्रोत्साहित करेगी।
वाणिज्य मंत्रालय ने पिछले साल अगस्त में नयी औद्योगिक नीति का मसौदा जारी किया था। इसका मकसद अगले दो दशक में रोजगार का सृजन करना और विदेशों से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को प्रोत्साहित करना है। इसमेंप्रत्यक्ष विदेशी निवेश को 100 अरब डॉलर वार्षिक करने का लक्ष्य रखा गया है।
प्रभू ने कहा कि मंत्रालय वाहन कलपुर्जों का निर्यात बढ़ाने के तरीकों पर विचार कर रहा है। इसके अलावा लॉजिस्टिक से जुड़ी दिक्कतों को दूर करने के लिए योजना बना रहा है।
उन्होंने कहा कि आने वाले सालों में भारत 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा और इसमें विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब 1,000 अरब डॉलर होगी।