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केंद्रीय लोक उपक्रमों की रणनीतिक हिस्सेदारी प्रक्रिया पर फिर से काम कर रहा वित्त मंत्रालय

त्त मंत्रालय केंद्रीय लोक उपक्रमों में हिस्सेदारी बेचने की रणनीतिक प्रक्रिया पर पर फिर से काम कर रहा है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि संभावित निवेशकों को दस्तावेज जारी करने के चार महीने के भीतर कंपनी की समूची हिस्सेदारी की बिक्री को लेकर प्रक्रिया पूरी हो जाए। इस कदम का मकसद पूरी प्रक्रिया को तेजी से निष्कर्ष पर पहुंचाना है।

हालांकि अपेक्षाकृत बड़े आकार के एयर इंडिया जैसे केंद्रीय लोक उपक्रमों (सीपीएसई) की रणनीतिक बिक्री के लिये कंपनी के बारे में जारी प्रारंभिक सूचना ज्ञापन (पीआईएम) की तारीख से समयसीमा छह महीने तय की जा सकती है।

फिलहाल सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी की रणनीतिक बिक्री पूरी करने के लिये कोई समयसीमा नहीं है। कई बार पूरी प्रक्रिया में कई महीनों का समय लग जाता है।

एक अधिकारी ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘रणनीतिक बिक्री नीति पहले से है लेकिन प्रक्रिया को दुरूस्त करने की जरूरत है ताकि बिक्री प्रक्रिया 3-4 महीनों में पूरी की जा सके। यह सोच है कि अगर प्रक्रिया चार महीने में पूरी नहीं की जा सकती तब उसे छोड़ दिया जाना चाहिए।’’

चालू वित्त वर्ष में 90,000 करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। ऐसे में निवेश और लोक परिसंपत्ति विभाग (दीपम) लंबे समय से अटके चुने गये केंद्रीय लोक उपक्रमों में पूरी हिस्सेदारी बेचने पर गौर करेगा। नीति आयोग ने रणनीतिक बिक्री के लिये 35 लाभ कमाने वाले और घाटे में चल रहे केंद्रीय लोक उपक्रमों की पहचान की है।

जिन कंपनियों की पहचान की गयी है, उसमें एयर इंडिया, एयर इंडिया की अनुषंगी एआईएटीएसएल, बीईएमएल, स्कूटर्स इंडिया, भारत पंप कम्प्रेशर तथा इस्पात कंपनी सेल की भद्रावती, सलेम और दुर्गापुर इकाइयां शामिल हैं।

इसके अलावा पूरी हिस्सेदारी की बिक्री के लिये जिन सरकारी उपक्रमों की पहचान की गयी है, उनमें हिंदुस्तान फ्लूरोकार्बन, हिंदुस्तान न्यूजप्रिंट, एचएलएल लाइफ केयर, सेंट्रल इलेक्ट्रानिक्स, ब्रिज एंड रूफ इंडिया एनएमडी का नगरनार स्टील प्लांट तथा सीमेंट कारपोरेशन आफ इंडिया की इकाइयां एवं आईटीडीसी शामिल हैं।

चालू वित्त वर्ष में सरकार ने अबतक विनिवेश के जरिये 2,350 करोड़ रुपये जुटाये हैं।

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