बच्चे कुछ अलग सीखना चाहते हैं, शिक्षक भी अध्यापन के अनूठे तरीके अपनायें: नायडू
उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू ने कहा है कि बच्चों में सीखने के कुछ अलग ललक को देखते हुये शिक्षकों को भी अध्यापन के अनूठे तरीके अपनाने होंगे जिससे बच्चों में सीखने के दायरे को अधिकतम विस्तार दिया जा सके।
नायडू ने बुधवार को शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में विद्यार्थियों और शिक्षकों को संबोधित करते हुये कहा कि सीखने का सबसे सशक्त और प्रभावी माध्यम प्रायोगिक शिक्षा है। जिसमें कुछ करके या प्रयोग द्वारा आसानी से बच्चों को सिखाया जा सकता है।
उन्होंने दार्शनिक कंफ्यूशियस को उद्धृत करते हुये कहा ‘‘मैं जो सुनता हूं, उसे भूल जाता हूं, जो देखता हूं वह याद रहता हैं और जो कुछ करता हूं उसे समझ जाता हूं।’’ उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षकों को प्रयोगों और क्रियाकलापों के माध्यम से छात्रों को पढ़ाना चाहिये।
नायडू ने इसे अध्यापन का मूलभूत सिद्धांत बताते हुये कहा ‘‘गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर, श्री अरबिंदो और महात्मा गांधी ने इसकी विस्तार से व्याख्या की है। उन्होंने कहा कि गांधी जी ने प्रयोग आधारित ‘‘नयी तालीम’’ नाम से शिक्षा का नया दृष्टिकोण प्रतिपादित किया था।
नायडू ने कहा कि भारत में शिक्षा के विश्व प्रतिष्ठित संस्थान और गुरुओं की समृद्ध विरासत कायम रही है। जिसके बलबूते ही भारत को ‘विश्व गुरु’ का सम्मान हासिल था।
उन्होंने अध्यापन के क्षेत्र में नवाचार की जरूरत पर बल देते हुये कहा कि शिक्षकों को सीखने वालों के अनुकूल शिक्षण व्यवस्था लागू करनी होगी। उन्होंने समाज की सोच में भी बदलाव की जरूरत पर बल देते हुये कहा कि शिक्षकों का सम्मान सुनिश्चित करने वाले मूल्यों का प्रसार करना सामूहिक दायित्व है।
इस अवसर पर नायडू ने उल्लेखनीय शिक्षण कार्य के लिये चयनित शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया। इस दौरान मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा भी मौजूद थे।