राष्ट्रीय संप्रभुता और बहुपक्षवाद का सह-अस्तित्व हो सकता है : एस्पिनोसा
संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष मारिया फर्नांडा एस्पिनोसा ने कहा है कि वह दृढ़ता से मानती हैं कि राष्ट्रीय संप्रभुता और बहुपक्षवाद के सिद्धांत का सह-अस्तित्व हो सकता है तथा इसके बिना प्रवासन और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याओं का हल नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि देश अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा कर सकते हैं, लेकिन साथ ही वे कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता को समझने के लिए तैयार और उदार भी रह सकते हैं।
एस्पिनोसा ने यहां एक साक्षात्कार में पीटीआई से कहा, ‘‘हम एक विरोधाभास में रहते हैं। एक तरफ हम कुछ खास आवाजें देखते हैं जो राष्ट्रीय संप्रभुता की फिर से बात कर रहे हैं और राष्ट्रीय हित पर गौर कर रहे हैं जैसे कि ये सिद्धांत बहुपक्षवाद के साथ साथ अस्तित्व में नहीं हो सकते।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा पूरा यकीन है कि दोनों साथ साथ रह सकते हैं। आप अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा कर सकते हैं और साथ ही यह समझने के लिए तैयार और उदार हो सकते हैं कि कुछ खास मुद्दों पर सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता है।” उन्होंने पूछा कि बहुपक्षीय दृष्टिकोण के बिना कोई भी प्रवासन के मुद्दे को कैसे हल कर सकता है।
उन्होंने सवाल किया कि क्या आप सामूहिक जिम्मेदारी परिप्रेक्ष्य के बिना जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को हल कर सकते हैं।
एस्पिनोसा ने कहा कि उनका आह्वान यह है कि हम वास्तव में दोनों मुद्दों पर विचार कर सकते हैं। एक ओर राष्ट्रीय हितों की रक्षा कर सकते हैं वहीं जिम्मेदार तरीके से अंतरराष्ट्रीय समुदाय से संबंध रख सकते हैं।
एस्पिनोसा इक्वाडोर की पूर्व विदेश मंत्री हैं और उन्हें जून में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र की अध्यक्ष चुना गया। निकाय के 73 साल के इतिहास में वह चौथी महिला अध्यक्ष हैं।
अनुभवी भारतीय राजनयिक और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बहन विजया लक्ष्मी पंडित 1953 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष चुने जाने वाली पहली महिला थीं।