न्यायालय का गुजरात में रास की दो सीटों पर अलग-अलग उपचुनाव के खिलाफ याचिका पर सुनवाई से इंकार
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को गुजरात में राज्य सभा की दो सीटों के लिये अलग अलग उपचुनाव कराने के निर्वाचन आयोग के फैसले को चुनौती देने वाली कांग्रेस की याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति बी आर गवई की अवकाश पीठ ने हालांकि गुजरात कांग्रेस के नेता की याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया लेकिन राज्य सभा की दोनों सीटों के लिये चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनाव याचिका दायर करने की उन्हें छूट प्रदान कर दी।
गुजरात से राज्य सभा की ये सीटें भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के गांधीनगर और स्मृति ईरानी के अमेठी लोक सभा सीट से निर्वाचित होने की वजह से रिक्त हुयी हैं।
निर्वाचन आयोग ने गुजरात की इन दो सीटों के लिये अलग अलग अधिसूचना जारी करने लेकिन एक ही दिन चुनाव कराने का निर्णय लिया था। आयोग के इस निर्णय को कांग्रेस के विधायक और विधान सभा में प्रतिपक्ष के नेता परेशभाई धनानी ने याचिका दायर कर चुनौती दी थी।
निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया था कि राज्य सभा सहित सभी सदनों के लिये उपचुनाव के लिये रिक्त हुये स्थानों को ‘‘अलग अलग रिक्तियां’’ माना जाता है और इसके लिये अलग अलग अधिसूचना जारी होती है, भले ही इनका कार्यक्रम एक समान हो।
धनानी ने आयोग के इस निर्णय को निरस्त करने का अनुरोध किया था। उनका तर्क था कि आयोग का यह निर्णय असंवैधानिक, मनमाना और गैरकानूनी है और इससे संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होता है।
उन्होंने न्यायालय से अनुरोध किया था कि आयोग को इन दोनों सीटों के लिये एकसाथ चुनाव कराने का निर्देश दिया जाये।
आयोग ने 15 जून को दिल्ली उच्च न्यायालय के 1994 और 2009 के फैसलों का हवाला दिया था जिनमें जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों के तहत एक ही राज्य में अलग अलग उपचुनाव कराने की प्रणाली का समर्थन किया गया था।
कांग्रेस का कहना था कि इन दोनों सीटों के लिये एक साथ चुनाव कराने के बजाए अलग-अलग चुनाव कराने की वजह से भाजपा दोनों स्थानों पर जीत हासिल कर लेगी।