दस हजार रुपए से शुरू किए गए व्यापार के जरिए बढाई आमदनी
-नेशनल दिव्यांगजन फाइनेंस एंड डेवलपमेंट के जरिए शुरू किया व्यापार
-सूट, साड़ी, कॉटन मैटेरियल पर करती है डिजाइन
सूरजकुंड (फरीदाबाद), 11 फरवरी। 37वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले में चंडीगढ़ से आई दिव्यांगजन सरस्वती ने बड़ी चौपल के साथ वाले ब्लॉक में एनएफडीसी ब्लॉक में स्टॉल नंबर-234 लगाई है। जहां पर वे साड़ी, सूट व सूती मैटेरियल पर्यटकों को बेच रही हैं। वहीं चार-पांच लोगों को सरस्वती ने रोजगार भी दे रखा है।
चंडीगढ़ की 48 वर्षीय सरस्वती का कहना है कि उन्होंने नेशनल दिव्यांगजन फाइनेंस एंड डेवलपमेंट के जरिए वर्ष 2005 में 10 हजार रुपए के लोन से व्यापार शुरू किया था। सरस्वती ने अपने लोन को निर्धारित समय पर बिना ब्याज के ही चुका दिया। इसके पश्चात एनएफडीसी द्वारा उनकी लिमिट 25 हजार रुपए तक की बैंक में करवाई गई। उन्होंने बैंक के निर्धारित समय पर ही अपने ऋण की राशि को चुकता कर दिया। इस प्रकार अब बैंक द्वारा उनकी लिमिट लाखों में हो चुकी है।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच लखपति दीदी बनाने के सपने को सरस्वती बखूबी साकार कर रही हैं। चंडीगढ़ की सरस्वती अपने सूती कपड़े के व्यापार के जरिए सालाना 5 से 6 लाख रुपए तक कमा रही है। सरस्वती ने बताया कि वह बचपन से ही उनके पिता के साथ सूरजकुुंड मेले में आती थी। पिता के बाद उन्होंने नेशनल दिव्यांगजन फाइनेंस डेवलपमेंट के जरिए ऋण लेकर अपना शिल्प से कपड़े का रोजगार शुरू किया, जिसके जरिए वह एनएफडीसी द्वारा लगाए गए देश के विभिन्न क्षेत्रों के मेलों में जाकर अपना व्यापार कर रही हैं। सरस्वती ने बताया कि वह दिल्ली के इंडिया गेट, मुंबई, गोवा, चेन्नई, हैदराबाद, सूरत, नागपुर, पटना में लगने वाले मेलों में भी अपनी दुकान सजाकर व्यापार करती है। सरस्वती सूरजकुंड मेला में भी नियमित तौर पर प्रतिवर्ष आ रही है और यहां पर लाखों रुपए तक का कपड़ों का व्यापार कर अपनी आमदनी को बढा रहीं हैं। वह सूट, साड़ी व कॉटन मैटेरियल रखती है और ज्यादातर रेडीमेड सूती सूट व साडियां लाकर उन पर महिलाओं व पुरूषों द्वारा हाथ से डिजाइन करवाकर बिक्री करती हैं। चंडीगढ़ में भी उनकी एक दुकान है।