सूरजकुंड मेला करवा रहा है अनेकता में एकता के दर्शन
सूरजकुंड मेला करवा रहा है अनेकता में एकता के दर्शन
-भाषाओं की सीमाओं को तोडकर विदेशी कलाकारों के गीतों पर झूमते नजर आए पर्यटक
-मेले की दोनो चौपालों पर कलाकारों ने अपनी समृद्ध संस्कृति की बिखेरी छटा
सूरजकुंड (फरीदाबाद), 16 फरवरी। सूरजकुंड क्षेत्र में भरने वाला मेला लोगों को अनेकता में एकता के दर्शन करवा रहा है। गत 2 फरवरी से शुरू हुआ 37वां सूरजकुंड अंतरराष्टï्रीय शिल्प मेला आगामी 18 फरवरी 2024 तक जारी रहेगा। इस बार मेले का थीम स्टेट गुजरात और पाटर्नर कंट्री तंजानिया है। इस बार के मेले की शुरूआत से अब तक लाखों पर्यटक मेले की शोभा बढा चुके हैं। इस मेले में स्थित दोनो चौपालों में देश-विदेश के विभिन्न कलाकार दिनभर रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुति से पर्यटकों का मनोरंजन करते हैं। कहते हैं कि संगीत की कोई जुबान नहीं होती। सूरजकुंड मेला इस कथन को भली भांति साबित कर रहा है। क्योंकि मेले की चौपाल पर विदेशी कलाकार अपनी भाषा में गीत-संगीत के माध्यम से अपने देश की समृद्ध विरासत को सभी पर्यटकों के सामने रख रहे हैं। जहां पर्यटक दूसरे देशों की भाषा का ज्ञान न होने पर भी उनके गीत संगीत की मधुर धुनों में खो जाते हैं।
शुक्रवार को मेले की मुख्य चौपाल पर थीम स्टेट गुजरात, पंजाब, असम, उड़ीसा सहित देश के अन्य राज्यों और कजाकिस्तान, इथोपिया, मैडागास्कर, मालावी, इस्वातिनी, यूगांडा, कोंगो, कोमोरोस, जाम्बिया जैसे कई और देशों के प्रसिद्ध कलाकारों ने अपनी-अपनी भाषाओं में अपने लोकगीतों व नृत्यों की शानदार प्रस्तुतियां दी।
मेले की छोटी चौपाल पर भी विभिन्न कलाकारों ने अपनी कलाकारी का दम दिखाया। जहां डा. समीरा कैशर ने कत्थक नृत्य, राकेश व धमेंद्र ने हरियाणवी लोकगीत, सरणजीत सिंह ने गजल, असम के राजीव ने वीहू नृत्य, राजस्थान के रूप सिंह ने चकरी डांस, पंजाब के रवि एंड गु्रप ने भांगडा, डा. अरूणाकांत ने फिल्मी बैंड आदि की जोरदार प्रस्तुतियों ने सभी पर्यटकों का मनोरंजन किया।
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