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न्यायालय ने कुछ राज्यों में कचरा प्रबंधन नीति तैयार होने तक निर्माण कार्यों पर लगाई रोक

उच्चतम न्यायालय ने कुछ राज्यों द्वारा ठोस कचरा प्रबंधन नीति तैयार नहीं करने पर आज उन्हें आड़े हाथ लिया और इन राज्यों में यह नीति तैयार होने तक निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने कुछ राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों पर उनके इस रवैये को लेकर जुर्माना भी लगाया। पीठ ने कहा, ‘‘यदि वे चाहते हैं कि लोग गंदगी और कूड़े कचरे के बीच रहे तो फिर क्या किया जा सकता है। ’’ पीठ ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और चंडीगढ़ सहित कुछ राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों ने अभी तक 2016 के ठोस कचरा प्रबंधन नियमों के तहत दो साल बाद भी कोई नीति तैयार नहीं की है।
पीठ ने कहा, ‘‘यदि इन राज्यों के मन में जनता के हित और स्वच्छता तथा सफाई के विचार होता तो उन्हें ठोस कचरा प्रबंधन नियमों के अनुरूप नीति तैयार करनी चाहिए ताकि राज्य में स्वच्छता रहे। राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों का दो साल बाद भी नीति तैयार करने के मामले में रवैया दयनीय है।राजधानी में 2015 में डेंगू से ग्रस्त सात साल के बच्चे की दर्दनाक मृत्यु की खबर का न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लिया था और इस मामले की सुनवाई के दौरान कचरे के प्रबंधन का मुद्दा प्रमुखता से सामने आया था।इसके बाद से न्यायालय ठोस कचरा प्रबंधन के मामले पर भी गौर कर रहा है।इस मामले में आज सुनवाई के दौरान न्यायालय के निर्देशानुसार हलफनामा दाखिल नहीं करने पर पीठ ने आंध्र प्रदेश पर पांच लाख रूपए का जुर्माना और टिप्पणी की कि केन्द्र को भी यह मालूम नहीं है कि राज्य ने इस बारे में नीति तैयार की है या नहीं।पीठ ने राज्य की कचरा नीति तैयार नहीं करने और न्यायालय के निर्देशों का पालन नहीं करने के कारण मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और केन्द्र शासित चंडीगढ़ पर भी तीन तीन लाख रूपए का जुर्माना किया।

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