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कोरोना का क्रम चक्र : अंकित तिवारी

आर्टिकल

ये ऐतिहासिज विश्वव्यापी कोरोना महामारी चीन के वुहान शहर से निकला । वहां विभिन्न पशु – पक्षियों के मांस की बाजार है । उसी बाजार की एक महिला दुकानदार पहली कोरोना संक्रमित रोगी हुई थी । पश्चात उस वुहान शहर भर से लेकर चीन के अन्य भागों में भी फैल गया । राजधानी को छोड़कर सर्वत्र त्राहिमाम मचने लगा ।।

यह स्पष्ट हो गया कि कोरोना संक्रमण की बीमारी है और चीन सरकार ने ” लॉक डाउन ” कर दिया । सम्भले सम्भलते भी डेढ़ लाख से भी अधिक लोग चपेट में आ गए ।।

हालांकि चीन ने इससे हुई मृत्यु का आंकड़ा कभी सही नहीं बताया , क्योंकि उसे दवा का खरीदार चाहिये था ।।
कुछ दिनों में ही चीन में यह नियंत्रित हो गया । कहते हैं वहां के वैज्ञानिकों ने डटकर शोध किया । बंदी में ढील देने पर पुनः वहां कोरोना पसरा , परन्तु फिर सम्भल गया ।।

अब बवाल यह शुरू हुआ कि चीन में जैविक और रासायनिक हथियार बनाने के लिये प्रयोगशाला में वैज्ञानिक लोग प्रयास कर रहे थे , जहां से ये कोरोना नामक बीमारी का वायरस लीक हुआ ।।

चीन ने इसकी रोकथाम किस तरह से की तथा शोधों में क्या निकला ये रहस्य नहीं खोला है , और यही अंतर्राष्ट्रीय तनाव का कारण है ।।

सच क्या है ये तो ईश्वर ही जानें , अभी तक यह एक रहस्य ही बना हुआ है । चीन एवं उनके मित्र देशों में कोरोना का असर बहुत कम देखा गया , जबकि अमित्र देशों में ज्यादा । इससे शक गहराता गया है ।। अब तो विश्वयुद्ध की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है ।। ईश्वर रक्षा करें ।।

 

भारत में सर्व प्रथम दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने स्कूलों को बंद किया और फिर लॉक डाउन कर दिया । अगके दिन फटाफट मोदी जी की केंद्र सरकार ने भी देशभर में लॉक डाउन कर दिए ।।

लॉक डाउन करने से रोकथाम की तरफ बढ़ रहे देश में जमातियों ( इस्लामिक जिहादियों ) ने मुश्किलें बढ़ा दी है । अब तो संक्रमण की संख्या तेजी से भारत में भी बढ़ रही है ।।

 

लोगों को हैरानी है कि लॉक डाउन करने के सिवा सरकार की अन्य कोई उल्लेखनीय उपलब्धि नहीं देखी गयी अबतक !

यहां तक कि उन तथाकथित जमातियों को भारत से भगाने की बजाय उनके रहन – सहन और इलाज पर लाखों रुपये खर्च किये जा रहे हैं , जबकि जरूरत सख्ती की है ।। अन्य देशों से भी वायुयान के द्वारा हजारों को भारत में लाया गया ।।

 

जो लोग जहां थे वो वहीं फंसकर रह गए । कामधंधे ठप हो जाने से जीवन – यापन की समस्या खड़ी हो गयी । सरकार जरूरत मन्दों तक भोजन आदि को पहुंचाने में विफल हो रही है ।।

ऐसे में जहां – तहां से हजारों की संख्या में देहारी मजदूर व अन्य गरीब लोग पैदल ही हजार – दो हजार किलोमीटर दूर अपने गांवों की ओर प्रस्थान कर रहे हैं ।।

 

चिकित्सकों के साथ दुर्व्यवहार हो रहे हैं । डॉक्टर्स को पर्याप्त सुरक्षा उपकरण तथा जांचों के साधन उपलब्ध करवाने में भी सरकार संतोषजनक नहीं है ।।

 

प्राइवेट कम्पनियां अब आगे क्या करेगी ये कहा नहीं जा सकता है । सरकार के पास नौकरी है नहीं । बेरोजगारी पहले से ही ताण्डव कर रही है । देश की आर्थिक हालात खस्ता और दयनीय होते गए हैं ।।

ऐसे में गरीब और मध्यमवर्ग की चिंताएं बहुत गम्भीर हैं । कोरोना से उबरने के बाद मजबूरों के जायदाद भी खरीदने वाले कम ही मिलेंगे और विवेकहीन पैसे वाले लोग इनका शोषण करेंगे । सरकार इन सबसे कैसे निबटेगी , क्या विज़न है , कोई नहीं जानता ।।

हम केंद्रीय स्तर की बातें कर रहे हैं । कुछ राज्य सरकारें अपने ढंग से तत्पर हैं , जैसे यूपी सरकार सराहनीय हैं ।।
इस महामारी का अंत कब और कैसे होगा यह अनिश्चित है ।।

एक बात तो तय लगता है कि दुनियां में बदलाव आएगा , आम लोगों में भी परिवर्तन होगा ।। किन्तु अच्छा होगा या बहुत बुरा यह भी समय ही बतावेगा , प्रतीक्षा करें हमसब स्वयं को सम्भालें !!

शुभाकांक्षी ; — *((( भा0 विश्वगुरु मार्ग — IPV ))) समाज व देश हित को समर्पित क्रांतिकारी विचारों की चिंतन धारा||?

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