इस सत्र में कपास उत्पादन में तीन से चार प्रतिशत गिरावट की आशंका: सीएआई
भारतीय कपास संघ (सीएआई) के अनुसार अपर्याप्त बरसात होने, खेती के रकबे में कमी और फसलों पर पिंक बॉलवार्म कीटों के संक्रमण के बाद मौजूदा वर्ष में कपास उत्पादन तीन से चार प्रतिशत घटकर करीब 350 लाख गांठ रह जाने की आशंका है।
सीएआई अध्यक्ष अतुल गणत्र ने पीटीआई-भाषा को बताया, “प्रमुख कपास उगाने वाले राज्यों में वर्षा की कमी सहित किसानों के कपास छोड़कर अन्य फसलों का रुख करने से खेती के रकबे में आई कमी तथा पिंक बॉलवार्म के प्रकोप जैसे मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है। इसके कारण चालू वर्ष में कपास उत्पादन तीन से चार प्रतिशत तक घटकर 350 लाख गांठ रह सकता है।’’ हालांकि, गणत्र ने कहा, अगले कुछ महीने (सितंबर-अक्टूबर) कपास की फसल के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं और यह उत्पादन की वास्तविक तस्वीर पेश करेंगे।जुलाई के अनुमान में, सीएआई ने चालू सत्र (अक्टूबर-सितंबर) के लिए कपास उत्पादन 365 लाख गांठ होने का अनुमान लगाया था।उन्होंने कहा, ‘‘गुजरात में अपर्याप्त बरसात ने राज्य में बुवाई को प्रभावित किया है। राज्य पहले से ही बुवाई में सात प्रतिशत कमी का सामना कर रहा है।” उन्होंने कहा कि देश में, कपास बुवाई कुल मिलाकर पिछले वर्ष की समान अवधि के 124.50 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस साल 27 अगस्त तक 116 लाख हेक्टेयर में की गई।गणत्र ने कहा कि चालू सत्र में कुल बुवाई 120 लाख हेक्टेयर तक पहुंचने की संभावना है।उन्होंने कहा, “कपास के रकबे में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब और कर्नाटक जैसे राज्यों में कमी आई है जहां किसानों ने सोयाबीन जैसी आकर्षक फसलों की ओर रुख किया है। वर्ष 2017 – 18 में 3,050 रुपये प्रति क्विन्टल के न्यूनतम समर्थन मूल्य के मुकाबले वर्ष 2018 – 19 में इसे बढ़ाकर 3,399 रुपये प्रति क्विंटल करने के बाद किसानों को सोयाबीन अधिक आकर्षक लग रहा है।इसके अलावा, गणत्र ने कहा, महाराष्ट्र में 21 लाख कपास उत्पादक गांवों में से सात लाख गांवों में कपास की फसल पिंक बॉलवार्म से संक्रमित पाई गई है।