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मोदी ने आरसीईपी करार को जल्द पूरा करने का आह्वान किया, सेवा व्यापार के महत्व पर बल दिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि आसियान और भारत सहित छह अन्य देशों के बीच प्रस्तावित क्षेत्रीय वृहद आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) करार आधुनिक, वृहद, संतुलित और सभी देशों के लोगों के लिए लाभदायक होना चाहिए। मोदी ने आरसीईपी के लिए चल रही बातचीत को जल्द सम्पन्न किए जाने पर भी बल दिया और कहा कि इसमें सेवाओं के व्यापार को भी पर्याप्त महत्व देने की आवश्यकता है।

वाणिज्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव सुधांशु पांडे ने यहां मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री ने आरसीईपी के नेताओं से कहा है कि वह अपने वाणिज्य मंत्रियों और वार्ताकारों को इस आर्थिक समूह की बातचीत को आगे बढ़ाने का अधिकार दें।
आरसीईपी में दस आसियान देश (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यामां, सिंगापुर, थाइलैंड, फिलिपीन, लाओस और वियतनाम) के अलावा चीन, जापान, आस्ट्रेलिया, भारत, न्यूजीलैंड और दक्षिण कोरिया शामिल हैं।
आरसीईपी की बातचीत 2012 से चल रही है और इसमें अब तक कुल 16 में से सात विषयों को तय कर लिया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वस्तुओं की बाजार पहुंच के मामले में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। उन्होंने सेवा क्षेत्र के लिए भी इसी तरह के प्रयास करने की जरूरत पर जोर दिया।
आरसीईपी की बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘हमें सेवा क्षेत्र में वार्ताओं की प्रगति को भी इसी तरह के प्रयास करने होंगे, क्योंकि ज्यादातर आरसीईपी देशों के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसका हिस्सा 50 प्रतिशत से अधिक है।’’ मोदी ने कहा कि भविष्य में सेवाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
सवालों के जवाब में पांडे ने कहा कि प्रधानमंत्री ने स्पष्ट तौर पर आरसीईपी करार को अपना समर्थन दिया है और सभी नेताओं से इस जल्द पूरा करने का प्रयास करने को कहा है। इसका मतलब है कि भारत आरसीईपी को लेकर पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

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