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सूरजकुंड मेले में सरकार की वोकल फॉर लोकल योजना चढ रही सफलता की सीढीयां
सूरजकुंड (फरीदाबाद),11 फरवरी। सूरजकुंड में चल रहे 37 वें अंतरराष्टï्रीय शिल्प मेले में केन्द्र व प्रदेश सरकार की वोकल फॉर लोकल को बढावा देने की मुहीम सिरे चढती नजर आ रही है। मेला ग्राऊंड में इस बार मिट्टïी के बर्तनों की स्टालों की संख्या में अच्छी खासी बढोतरी देखने को मिल रही है। मेले में आने वाले अधिकतर लोग मिट्टïी के बर्तन जरूर खरीदकर ले जा रहे हैं।
      सूरजकुंड में 2 फरवरी से शुरू हुए 37वें अंतरराष्टï्रीय हस्त शिल्प मेले में इस बार दर्शकों को मिट्टïी से तैयार बर्तन बहुत आकर्षित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कामगारों के रोजगार को बढावा देने के लिए वोकल फॉर लॉकल योजना शुरू की थी, जिसके बाद हाथ का काम करने वाले कारीगरों के रोजगार में बढोतरी हुई हैं। सरकार की यह मुहीम इस बार के सूरजकुंड मेले में सफलता की सीढीयां चढती नजर आ रही है। फरीदाबाद व आस-पास के राज्यों से अनेक करीगर इस बार सूरजकुंड मेले में मिट्टïी से तैयार बर्तनों की स्टाल लगाए हुए हैं।
शिल्प मेला में मिट्टïी से तैयार यह बर्तन दर्शकों को भी लुभा रहे हैं। फरीदाबाद से आए गंगाराम और पुष्पा देवी सहित मेला ग्राऊंड में अनेकों कारीगरों ने हाथों से तैयार मिट्टïी के बर्तनों की स्टाल लगाई हुई हैं। इन स्टालों पर 20 रुपए से लेकर 1250 रुपए की कीमत के मिट्टïी के बर्तन खरीदे जा सकते हैं। मिट्टïी से तैयार इन बर्तनों में कप, गिलास, बोतल, कूकर, कढाई, तवा, केतली, लोटा, गुलक, जग, ट्रे सहित बच्चों के खिलौने भी शामिल हैं।

फोटो परिचय–सूरजकुंड–09,10–। मिट्टïी के बर्तनों की स्टाल पर खरीददारी करते लोग।
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राष्टï्रीय शिल्पकार अवॉडी महावीर सिंह सैनी पीतल पर नक्काशी कला को दे रहे हैं बढ़ावा
-हाई स्कूल की शिक्षा के दौरान अपनाई पीतल पर नक्काशी की कला
सूरजकुंड (फरीदाबाद), 11 फरवरी। 37वें सूरजकुंड अंतरराष्टï्रीय शिल्प मेला में देश-विदेश के शिल्पकार अपनी सर्वश्रेष्ठï कृतियों की ओर पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं। मुरादाबाद के राष्टï्रीय शिल्पकार पुरस्कार से सम्मानित महावीर सिंह सैनी पीतल पर नक्काशी की कला को प्रसिद्धि दिलाने में निरंतर प्रयासरत हैं। उन्हें वर्ष 2017 के लिए राष्टï्रीय शिल्पकार अवॉर्ड प्रदान किया गया है। वर्तमान में पीतल धातु महंगी होने की वजह से आज कल उन्होंने कांसे पर नक्काशी करना शुरू किया है।
महावीर सिंह सैनी मेला परिसर में स्टॉल संख्या-1240 पर पीतल पर नक्काशी की कृतियों को प्रदर्शित कर रहे हैं। उन्होंने हाई स्कूल में पढाई के दौरान ही 1988 में पडोस में पीतल पर नक्काशी की कला को अपनाने की प्रेरणा ली। माता-पिता ने भी उन्हें इस कला को अपनाकर आत्मनिर्भर होने के लिए प्रोत्साहित किया। आज वे 15 सदस्यों के साथ पूजा हैंडीक्राफ्ट्स समूह के माध्यम से पीतल पर नक्काशी की कला को आगे बढा रहे हैं। इस स्टॉल पर 100 रुपए से 45 हजार रुपए तक की पीतल पर नक्काशी की कृतियां उपलब्ध हैं। उन्होंने 55 हजार रुपए की पीतल पर नक्काशी की जिराफ सैट की कृति को मेले के दौरान पर्यटकों को बिक्री किया है।
शिल्पकार महावीर सिंह सैनी का कहना है कि पीतल पर नक्काशी का कार्य इतना आसान नहीं है। धातु को गलाने, मॉल्डिंग और बफिंग की प्रक्रिया के दौरान हानिकारक धुंआ व डस्ट उडती है, जिससे कैंसर बीमारी फैलने का खतरा बना रहता है। इसके दृष्टिïगत वर्तमान में धातु गलाने व बफिंग के कार्य में मशीन का प्रयोग भी शुरू हुआ है।

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